Sitaram Yechury : छात्र राजनीति से उभरे सीताराम येचुरी कैसे बने वामपंथ का सबसे बड़ा चेहरा

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Sitaram Yechury: सीताराम येचुरी की गिनती देश में शीर्ष वामपंथी नेताओं में होती थी। छात्र रहते उन्होंने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। इमरजेंसी का विरोध करने पर उन्हें जेल जाना पड़ा था।

Sitaram Yechury: सीपीआई (ए) के महासचिव सीताराम येचुरी (Sitaram Yechury) का आज 12 सितंबर गुरुवार को निधन हो गया। 72 वर्ष की आयु में दिल्ली एम्स में उन्होंने अंतिम सांस ली। वह निमोनिया से पीड़ित थे और उनको एम्स के आईसीयू में रखा गया था। सीताराम येचुरी की गिनती भारत में वामपंथ के शीर्ष नेताओं में होती थी। उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी को सबसे कमजोर समय में संभालने का काम किया था।

 

 

कॉमरेड सीताराम येचुरी का मामना था कि सीपीएम का संसद और विधानसभा में प्रतिनिधित्व भले कम हुआ है, लेकिन देश का एजेंडा तय करने में सीपीएम का अहम रोल है। आज हम आपको सीताराम येचुरी के जीवन की कुछ खास बातें बताते हैं।

सीताराम येचुरी का प्रारांभिक जीवन
सीताराम येचुरी का जन्म 12 अगस्त 1952 को मद्रास में एक तेलुगु ब्रह्माण परिवार में हुआ था। उनके पिता परिवहन विभाग में इंजीनियर थे और माता कलपक्म येचुरी सरकारी ऑफिसर थीं। सीताराम की प्रारंभिक शिक्षा हैदराबाद में हुई। इसके बाद साल 1969 में वो पढ़ाई के लिए दिल्ली आ गए। यहां पर प्रेंजीडेंट्स इस्टेट स्कूल नई दिल्ली में दाखिला ले लिया। स्टूडेंट लाइफ में येचुरी टॉपर रहे। उन्होंने हायर सेकंड्री की परीक्षा में पूरे देश में टॉप किया था।

इसके बाद सेंट स्‍टीफन कॉलेज कॉलेज से अर्थशास्त्र में उन्होंने बीए (ऑनर्स) किया। 1975 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अर्थशास्‍त्र में प्रथम श्रेणी के साथ स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। एमए करने के बाद येचुरी ने जेएनयू में पीएचडी में नामांकन कराया। तभी 1975 के समय देश में इमरजेंसी लग गई। तब येचुरी भी गिरफ्तार हुए थे और उनकी पढ़ाई बीच में ही रुक गई।

कैसा रहा येचुरी का जीवन
सीताराम युचेरी की पहली शादी वामपंथी कार्यकर्ता और नारीवादी डॉ. वीना मजूमदार की बेटी से हुई थी। उनकी दूसरी शादी बीबीसी की तेज तर्रार पत्रकार सीमा चिश्ती से हुई। उनका उन्हें एक बेटा और बेटी है। सीताराम येचुरी कॉलेज में पढ़ते हुए वामपंथी विचारों से प्रभावित हुए थे। इसके बाद वह 1974 में स्टूडेंड फेडरेशन ऑफ इंडिया से जुड़ गए। इसके एक साथ बाद सीपीएम से जुड़ गए। आपातकाल का विरोध करने पर उनको गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। इस दौरान देश में लोकतंत्र की बहाली के लिए उनका संघर्ष जारी रहा।

छात्र राजनीति से शुरू हुआ सफर

1977-78 में वे जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष भी बने। इस दौरान जेएनयू कैंपस में लेफ्ट की विचारधारा को फलने-फूलने का मौका मिला। देश में वामपंथ के दूसरे बड़े नाम में शुमार प्रकाश करात की मदद से उन्होंने जेएनयू को वामपंथी विचारों के अध्ययन और प्रतिपादन का बड़ा केंद्र बनाया। 1978 में सीताराम येचुरी स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया के ऑल इंडिया संयुक्त सचिव बने।बाद में वह उनको अध्यक्ष बनाया गया।

वर्ष 1984 में येचुरी को सीपीआई(एम) की केंद्रीय समिति के लिए आमंत्रित किया गया था। येचुरी ने 1986 में एसएफआई छोड़ दी थी। येचुरी अपनी सांगठनिक क्षमता और कार्य कुशलता के दम पर पार्टी में कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते गए। साल 1992 में सीपीएम की चौदहवीं कांग्रेस में वे पोलित ब्यूरो के लिए चुने गए। इशके बाद समय बदला और 19 अप्रैल 2015 को विशाखापत्तनम में पार्टी की 21वीं कांग्रेस में सीताराम येचुरी को पार्टी का पांचवां महासचिव चुन लिया गया। येचुरी ने पार्टी की कमान प्रकाश करात से संभाली जो लगातार तीन बार (2005-15) तक पार्टी के महासचिव रह चुके थे। 18 अप्रैल 2018 को पार्टी को सीपीएम की 22वीं कांग्रेस में सीताराम युचुरी एक बार फिर से पार्टी के महासचिव बन गए।

 

 

कैसा रहा येचुरी का सियासी सफर 
सीताराम येचुरी वुद्धिजावी नेता होने के साथ ही कुशल वक्ता थे। संसद में अपनी वाक क्षमता और तथ्यात्मक भाषण शैली से विरोधियों को चित कर देते थे। साथ ही उनकी भाषण शैली के विरोधी भी कायल थे। 2005 में येचुरी पहली बार पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के सदस्य बनकर संसद में पहुंचे थे। इसके बाद से वह राज्यसभा में 18 अगस्त 2017 तक रहे।

अर्थशास्त्री और पत्रकार और लेखक थे येचुरी
सीताराम येचुरी राजनेता के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता, अर्थशास्त्री,  पत्रकार और लेखक भी थे. राजनीतिक दस्तावेज तैयार करने में उनकी राय सर्वोपरि मानी जाती थी। कांग्रेस के नेता पी चिदंबरम के साथ मिलकर उन्होंने 1996 में यूनाइटेड फ्रंट गवर्नमेंट के लिए कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तैयार किया था।

वे लंबे समय से अखबारों में स्तंभ लिखते रहे थे। उन्होंने कई पुस्‍तकें भी लिखीं, जिनमें ‘लेफ्ट हैंड ड्राइव’, ‘यह हिन्‍दू राष्‍ट्र क्‍या है’, ‘घृणा की राजनीति’ (हिन्दी में), ’21वीं सदी का समाजवाद’ जैसी किताबें शामिल हैं। उन्होंने ‘डायरी ऑफ फ्रीडम मूवमेंट’, ‘द ग्रेट रीवोल्ट : अ लेफ्ट अप्रेज़ल’ और ‘ग्लोबल इकोनॉमिक क्राइसिस -अ मार्कसिस्ट पर्सपेक्टिव’ का संपादन भी किया।

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