लोकसभा चुनाव 2024: निर्मला सीतारमण के इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को वापस लाने वाले बयान पर गरमाई सियासत, विपक्ष ने घेरा

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लोकसभा चुनाव 2024

पॉलिटिकल डेस्क, मुंबई। इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर देश की सियासत एक बार गरमा गई है। दरअसल, हाल ही में वित्त मंत्री निर्माल सीतारमण ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर बयान दिया। एक न्यूज पेपर को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि यदि हमारी सरकार बनती है तो हम इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को दोबारा लाएंगे। इसके लिए पहले बड़े स्तर सुझाव लिए जाएंगे।

वित्त मंत्री के इस बयान पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि इस बार वे कितना लूटेगें। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, ‘वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि यदि भाजपा सत्ता में लौटती है, तो वह इलेक्टोरल बांड वापस लाएगी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार देते हुए अवैध घोषित कर दिया है! हम जानते हैं कि भाजपा ने #PayPM घोटाले में जनता के 4 लाख करोड़ रुपए रुपए लूटे हैं। वे इस लूट को जारी रखना चाहते हैं। #PayPM के चार तरीकों को याद कीजिए: 1) प्रीपेड रिश्वत – चंदा दो, धंधा लो 2) पोस्टपेड रिश्वत – ठेका दो, रिश्वत लो प्री-पेड और पोस्ट-पेड रिश्वत का कॉस्ट कुल मिलाकर: 3.8 लाख करोड़ रुपए 3) पोस्ट रेड रिश्वत – हफ़्ता वसूली रेड के बाद रिश्वत का कॉस्ट: 1,853 करोड़ रुपए 4) फ़र्ज़ी कंपनियां – मनी लॉन्ड्रिंग फ़र्ज़ी कंपनियों का कॉस्ट: 419 करोड़ रुपए सोचिए, यदि वे जीतते हैं और इलेक्टोरल बांड को फिर से बहाल करते हैं, तो इस बार वे कितना लूटेंगे? हमारे जीवनकाल में भारत का यह सबसे महत्वपूर्ण चुनाव है। शुक्र है कि यह भ्रष्ट ब्रिगेड सत्ता से बाहर जा रहा है, ज़मीनी रिपोर्ट्स से ऐसा बिल्कुल स्पष्ट रूप से नज़र आ रहा है!’

जयराम रमेश के अलावा वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, ‘मैं निर्मला सीतारमण का सम्मान करता हूं। एक इंटरव्यू में वे कह रही हैं कि इलेक्टोरल बॉन्ड को फिर से लाएंगे। उन्होंने ये भी कहा कि जब पहली बार ये स्कीम ट्रांसपेरेंसी को ध्यान में रखकर लाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि इसमें पारदर्शिता नहीं थी। वे (सरकार) इसे नॉन-ट्रांसपेरेंट तरीके से लेकर आए। अब समस्या है कि उनके पास इस चुनाव के लिए तो पैसा है, लेकिन वे ये भी जानते हैं कि अगर हार गए तो भी पैसे की जरूरत होगी। मैं मोहन भागवत से पूछना चाहता हूं कि वे इस मुद्दे पर खामोश क्यों हैं।’ बता दें कि 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक फंडिंग के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड योजना पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि बॉन्ड की गोपनीयता को बनाए रखना असंवैधानिक है। यह सूचना के अधिकार का उल्लंघन है।

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