11 लोग सिर्फ तर्जनी से कैसे उछाल देते हैं 90 किलो का पत्थर?

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कहते हैं कि अगर आपकी किसी में आस्था है तो आप पहाड़ भी उठा सकते हैं। ऐसी ही कुछ कहानी महाराष्ट्र के पुणे-सतारा मार्ग पर शिवपुर गांव में स्थित 700 साल पुरानी पीर कमर अली दरवेश की दरगाह की है। दरवेश का अपने जीवन काल में बहुत सम्मान रहा और आज भी श्रद्धालु उनकी मजार पर इबादत करते हैं। पीर कमर अली दरवेश का जन्म एक गरीब घर में हुआ था, घर में वह सबसे छोटे थे। उनका शरीर बलिष्ट था, लेकिन वह अत्यंत ही शांति प्रिय थे, इसीलिए वह एक सूफी संत के शिष्य बन गए। उन पर ईश्वर की कृपा हुई और उनको दिव्य ज्ञान मिला। दरवेश की मौत किशोर अवस्था में ही हो गई। उन्होंने अपनी मौत से पहले अपने शिष्यों को एक पत्थर अपने मकबरे के पास रखने को कहा।

90 किलो का यह पत्थर, आसानी से नहीं उठाया जा सकता। लेकिन, अगर 11 लोग मिलकर अपनी तर्जनी से एक साथ जोर लगाते हुए, पीर कमर अली दरवेश का नाम लेते हैं तो वे इस पत्थर को अपने सिर से दो फीट ऊपर तक उछाल सकते हैं। अगर पत्थर को उठाने वाले 11 से कम या ज्यादा होंगे तो यह पत्थर उछाला नहीं जा सकता। तर्जनी के अलावा अन्य किसी अंगुली का इस्तेमाल करने से भी यह पत्थर उठाया नहीं जा सकता। हालांकि, दरगाह प्रबंधन ने किसी एक आदमी द्वारा पत्थर उठाने पर रोक लगाई हुई है। इस बात में विश्वास करने वाले और विश्वास न करने वाले भी यहां पर पत्थर को देखने आते हैं। हजारों लोगों के सामने अनेक बार इस पत्थर को उछाला गया है।

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